हल्द्वानी। शहीद अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की 22वीं पुण्यतिथि पर कांग्रेसी नेता हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी के लाईन नंबर 17 स्थित कार्यालय में उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान अब्दुल रऊफ सिद्दीकी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके बड़े भाई अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि आज के ही दिन 19 मार्च 1998 को उभरते हुए अजीम रहनुमा अब्दुल रऊफ को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया था। अब्दुल रउफ ने अपनी सामाजिक व सियासी जिन्दगी में बहुत कम समय में ही लोकप्रियता के शिखर को छू लिया था। इस कम उम्र के नौजवान लीडर ने अपनी संघर्षशीलता और जुझारूपन के कारण समाज के हर तबके का हितैषी बन गया था। 19 मार्च 1998 को उसे गोलियों से छलनी कर हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि आज हमें स्व. रऊफ के पदचिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। इस दौरान त्रिलोक बनौली, जावेद सिद्दीकी, इशरत अली, अलीम अंसारी, पार्षद रईस अहमद वारसी, रूमी वारसी, तौफीक अहमद, जीशान परवेज, इस्लाम मिकरानी, शफीक अंसारी, मोहम्मद गुफरान, अरशद मिकरानी, राजू सिद्दीकी, वकार अहमद, जावेद अहमद, फिरोज खान, शलील अहमद, रेहान कुरैशी, तारा ठाकुर, हेमंत कुमार मोना, महेश चन्द्र, रोहित कुमार आदि मौजूद रहे।