हल्द्वानी। नौ सूत्रीय मांगों लेकर बुद्घ पार्क में धरने पर बैठे डॉ उमेश चंदोला के आंदोलन को दूसरे दिन कांग्रेसी नेता सुमित हृदयेश ने भी अपना समर्थन देते हुए मांगों को जायज बताया।
इस दौरान डॉ चंदोला ने कहा कि सरकारें स्वयं तमाम श्रम कानूनों की तीस साल से उल्लंघन करती चली आ रही हैं। जिसे देखते हुए आज हमें पुरानी पूंजीवादी पार्टियों को छोड़कर नये संगठन बनाने होंगे। कहा कि मात्र पांच साल में एक बार सरकार चुनना लोकतंत्र नहीं है। जनता को भ्रष्ट विधायिका, भ्रष्ट पुलिस अफसरों व नौकरशाहों समेत न्यायपालिका को भी चुनने और वापस बुलाने की आजादी हो। कहा कि स्थानीय से लेकर तमाम राष्ट्रीय मुद्दों, कानूनों आदि को बिना जनता के बीच जाये नहीं बनाना चाहिए। मसलन नागरिकता कानून आदि। इतना ही नहीं निजीकरण हो या नहीं, श्रम कानून खत्म करने, नये अस्पताल बनने, स्कूल बनने आदि में जनता की राय की नितान्त आवश्यकता है। रेल, खनिज तेल की कंपनियों, निगमों को पुनः सरकारी बनाया जाये, जिससे बाजार में मांग के संकट से लड़ा जा सके। संतुलित भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, ऊर्जा, परिवहन को राज्य द्वारा गारंटी के रूप में मूल अधिकारों में शामिल किया जाये। साथ ही उत्तराखंड की भोजनमाताओं को दो हजार से बढ़ाकर दस हजार रूपया मानदेय दिया जाय। उत्तराखंड के उपनल कर्मियों, आशाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नियमित किया जाय। बेरोजगार नौजवानों से सरकारी नियुक्तियों में फीस लेना बंद हो, उन्हें बेरोजगारी भत्ते के रूप में सात हजार रूपया प्रतिमाह दिया जाये। इस आंदोलन के समर्थन में सुमित हृदयेश के साथ जावेद अंसारी, अबु तसलीम, इरफान भी धरने में बैठे।