पिथौरागढ़ । एनएच स्थित दिल्ली बैंड नासूर बन गया है। कमजोर पहाड़ी आए दिन दरक रही है। सड़क के दूसरी और गहरी खाई के चलते एनएच के सम्मुख एक ओर कुआं और दूसरी ओर खाई वाली स्थिति बनी हुई है। पहाड़ी का ट्रीटमेंट किए बगैर इस स्थल पर सड़क चैड़ीकरण मुश्किल है।
दिल्ली बैंड में तीन माह के भीतर चैथी बार पहाड़ी दरकी है। पहाड़ी दरक जाने से एनएच 13 घंटे बंद रहा। इससे पूर्व भी ऐसी स्थिति आ चुकी है। दिल्ली बैंड से लगी पहाड़ी में कठोर चट्टान नहीं हैं। बेहद कमजोर पत्थरों वाली यह पहाड़ी हल्की सी बरसात के बाद ही दरकने लगती है। ऑलवेदर के लिए अन्य स्थानों पर चैड़ीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है वहीं दिल्ली बैंड में एनएच फिलहाल खुद को असहाय पा रहा है। इस स्थल में एक ओर कमजोर चट्टान है तो दूसरी ओर गहरी खाई है, खाई के ऊपर लोहे के गार्डर डालकर वाहनों के चलने लायक मार्ग बनाया गया है। दिल्ली बैंड की पहाड़ी का सीमेंट से ट्रीटमेंट करने की जरूरत है, लेकिन ऐसा प्रस्ताव ऑलवेदर रोड की कार्ययोजना में शामिल नहीं है। बगैर ट्रीटमेंट के दिल्ली बैंड का नासूर भविष्य में भी एनएच को घाव देता रहेगा। इसलिए पड़ा दिल्ली बैंड नाम पिथौरागढ़रू जिला मुख्यालय से 28 किमी. दूर दिल्ली बैंड में डेढ़ दशक पूर्व दिल्ली जाने वाली रोडवेज की बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें तीन दर्जन से अधिक यात्रियों की मौत हुई थी। इसी के बाद इस बैंड का नाम दिल्ली बैंड पड़ गया। दिल्ली बैंड के पास चट्टानें बेहद कमजोर हैं। हल्की सी बरसात के बाद ही यहां चट्टान दरकने लगती हैं। मार्ग के दूसरी ओर खाई होने से चैड़ाई बढ़ाने के लिए चट्टान को काटने का ही विकल्प उपलब्ध है। एनएच इसके स्थायी ट्रीटमेंट की योजना बना रहा है।