हल्द्वानी। भाकपा (माले) के जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्तुत बजट निराशाजनक और दूरदर्शिता विहीन है। केंद्र की कुछ योजनाओं का बखान, पुराने वादों का दोहराव और कुछ नए जुमले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा प्रस्तुत इस बजट की कुल जमा उपलब्धि हैं।
पलायन रोकने के लिए तथा रिवर्स पलायन के लिए पलायन प्रकोष्ठ के गठन का ऐलान बजट में किया गया है.पलायन आयोग के बाद यह पलायन प्रकोष्ठ एक और शिगूफा है. पलायन रोकने के लिए सरकार के पास न कोई ठोस योजना है, न दृष्टि,जिसे धरातल पर वह उतार सके.इसलिए वह आयोग-प्रकोष्ठ का खेल खेल रही है। इसी तरह का एक और जुमला-युवा आयोग है, जो सरकार रोजगार के मामले में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, तीन साल में एक परीक्षा साफ-सुथरे तरीके से नहीं करवा पा रही है, वह सरकार अब बजट में युवा आयोग का झुनझुना युवाओं के हाथ में थमा रही है। औद्योगिक विकास के नाम पर बजट में 2018 के इन्वेस्टर्स मीट के उन्ही आंकड़ों का दोहराव है, जिन्हें मुख्यमंत्री कई मंचों से कई-कई बार दोहरा चुके हैं। प्रदेश में लोग जिला विकास प्राधिकरण के कानून से पीड़ित है और जनता को कोई ठोस राहत देने के बजाय मुख्यमंत्री बजट में विकास प्राधिकरण के लिए स्वीकृत पदों का आंकड़ा गिनवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास उपलब्धियों और योजनाओं का इस कदर टोटा है कि वह ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर काम शुरू होने को बजट में उपलब्धि की तरह पेश कर रही है. केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने से रेलवे राज्य सरकार का विभाग नहीं हो जाता है। कुल मिला कर जिस सरकार की दृष्टि खनन और शराब से आगे नहीं जाती, उससे किसी दूरदर्शी योजना वाले बजट की अपेक्षा की भी कैसे जा सकती है।