हल्द्वानी। “संविधान बचाओ मंच” द्वारा बुद्धपार्क में सीएए-एनआरसी-एनपीआर पैकेज के विरुद्ध विशाल धरना दिया गया। जिसमें संविधान पर मोदी सरकार के बढ़ते हमलों को रोकने और सीएए-एनआरसी-एनपीआर पैकेज वापस लेने की मांग की गई। धरनास्थल पर हुई सभा को संबोधित करते हुए राजा बहुगुणा ने कहा कि, “धर्म पर आधारित नागरिकता कानून बनाना मोदी सरकार की गले की फांस बन गया है। क्योंकि देश की जनता पंथ निरपेक्ष संविधान की रक्षा के लिए संघ परिवार की साम्प्रदायिक कूटनीति के विरोध में सड़क पर उतर आई है।”उन्होंने कहा कि, “गरीबी,भुखमरी, असमानता की मार झेल रहे हमारे देश के लिए सीएए ,एनपीआर,एनआरसी पैकेज एक अनावश्यक व देश तोड़क पैकेज है जिसे भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा।” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार को देश की आम जनता की रोजी- रोटी की समस्या को हल करना चाहिए लेकिन उसने अंबानी को पांच साल मे 2 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ रूपए की पूंजी का मालिक बना दिया और आम जनता का जीवन संकट में डाल दिया।” उन्होंने कहा कि, जब तक केन्द्र सरकार सीएए और 1 अप्रैल से शुरू होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया को वापस नहीं लेती हम पीछे नहीं हटेंगे। सैयद इरफान रसूल ने कहा कि, “ये देश सबका है और मोदी सरकार अपनी नीतियों से देश में धार्मिक विभाजन पैदा कर रही है। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम जनता की समस्याओं का समाधान करना है लेकिन मोदी सरकार तो खुद ही समस्या बन गई है।” उन्होंने सबकी सहमति से 25 जनवरी से बुद्धपार्क में 72 घंटे के दिन रात धरने की घोषणा की। कुमाऊँ विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य व नागरिक मंच नैनीताल के संयोजक एडवोकेट कैलाश जोशी ने कहा कि,”मोदी राज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जिस तरह से अंकुश लगाने की कोशिशें हो रही हैं वे आपातकाल की याद दिला रही हैं। जनता के पक्ष में खड़े होकर आवाज उठाने वाले कवि, लेखक, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों, कलाकारों और छात्रों को देशद्रोही घोषित किया जा रहा है, ये कैसा लोकतंत्र है। इस सरकार ने संविधान और लोकतंत्र का मजाक बना कर रख दिया है। इसलिए मोदी सरकार का प्रतिकार करना हर देशभक्त भारतीय नागरिक का कर्तव्य बन गया है। जी.आर. टम्टा ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा बनाया गया भारतीय संविधान विशिष्टता लिये हुए है। यह संविधान ‘हम भारत के लोग’ को सर्वोपरि मानता है, किसी जाति-धर्म को नहीं। परन्तु मनुवादी हिन्दू राष्ट्र के हिमायती इसको विकृत करना चाहते हैं। हमें बाबा साहब की चेतावनी को याद रखना चाहिए जब उन्होंने कहा था, ‘अगर हिन्दू राष्ट्र हकीकत में बन गया तो यह तबाही लाने वाला साबित होगा’। नगर निगम पार्षद शकील अंसारी ने कहा कि, “देश की जनता ने मोदी सरकार की विभाजनकारी राजनीति को किनारे कर साझा विरासत, साझा शहादत और साझा नागरिकता का पक्ष चुना है। शाहीन बाग इसका जीता जागता उदाहरण है। अब तो पूरा देश ही शाहीन बाग बन गया है, यही देश के बेहतर भविष्य की उम्मीद है। धरने में पार्षद शकील अंसारी,पार्षद रईस वारसी गुड्डू, तौफीक अहमद, रूमी वारसी, पी पी आर्य, हाजी मतीन सिद्दीकी, शोएब अहमद, जी.आर. टम्टा, नफीस अहमद खान, मुफ्ती सलीम, वरिष्ठ किसान नेता बहादुर सिंह जंगी, गुरप्रीत सिंह प्रिंस, अब्दुल कादिर, सरताज आलम, डॉ संजय शर्मा, एडवोकेट कैलाश जोशी, मुजीब रहमान, तस्लीम अंसारी, फुरकान अहमद, गोविंद राम आर्य,चेत राम सागर, चाँद वारसी, भुवन जोशी, विमला रौथाण, निर्मला, राधा देवी,शराफत, ललित मटियाली, टी आर पाण्डे,मोहन मटियाली, डॉ उमेश चंदोला, गोविंद जीना, किशन सिंह बघरी, अब्दुल कादिर, अलीम खान,मुशर्रफ हुसैन, फुरकान अहमद, जियाउद्दीन कुरैशी, एन.डी.जोशी, अब्दुल रऊफ इंजीनियर,नैन सिंह कोरंगा, नाजिम अंसारी, प्रकाश तिवारी, अरबाज़ खान, गिरीश जोशी, ललित जोशी,जावेद सिद्दीकी, गोपाल गड़िया,डॉ. कैलाश पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। धरना-प्रदर्शन में हुई सभा की अध्यक्षता सैयद इरफान रसूल ने व संचालन डॉ कैलाश पाण्डेय व शाहिद हुसैन ने संयुक्त रूप से किया।
सीएए के विरोध में 72 घंटे के दिन-रात धरने की घोषणा
खबर शेयर करें