देहरादून। मुस्लिम सेवा संगठन की ओर से एनआरसी, सीएए और एनपीआर के विरोध में नारेबाजी करते हुए आज भी अपना अनिश्चितकालीन धरना जारी रखा। धरने में मुस्लिम समुदाय के बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इसके अलावा अन्य समुदायों और संगठनों ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर धरने को समर्थन दिया। मुस्लिम सेवा संगठन के बैनर तले बड़ी संख्या में लोग हिंदी भवन के सामने एकत्र हुए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुये उक्रांद के वरिष्ठ नेता लताफ़त हुसैन ने कहा कि केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लाकर संविधान का अपमान किया है। भारत के संविधान में साफ है कि कोई भी कानून जाति और भाषा के आधार पर नहीं बन सकता। मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम अहमद ने कहा कि इस काले कानून की निंदा और विरोध सिर्फ हिंदुस्तान का मुसलमान ही नहीं सब जाति व धर्म के लोग कानून का विरोध कर रहे हैं। बात कानून की नहीं, आज जरूरत है तो भारत के संविधान और गंगा जमुनी तहजीब को बचाने की। मीडिया प्रभारी वसीम अहमद ने कहा कि आज हिंदुस्तान के युवाओं को रोजगार की जरूरत है न कि मंदिर और मस्जिद की। केंद्र सरकार भारत को ब्रिटिश काल की तरह बांटने की राजनीति कर रही है। आज अगर देश को किसी कानून की जरूरत है तो वह है दुराचार में मौत की सजा का कानून बनाने की। केंद्र सरकार ने आज तक यह कानून लागू नहीं किया। केंद्र सरकार ने संख्या बल के आधार पर संविधान की इस मूल भावन के साथ छेड़छाड़ की है। कोई भी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश धर्म आधारित मतभेद वाले कानून के आधार पर खड़ा नहीं रह सकता है।इस मौके पर संगठन के उपाध्यक्ष आसिफ हुसैन, महासचिव सद्दाम कुरैशी, उपाध्यक्ष अक्की कुरैशी, मुदस्सीर कुरैशी, मोहम्मद मेहताब, रमीज राजा, साकिब कुरैशी, दानिश कुरैशी, कोकब जमाल, दौलत कुंवर, प्रो. एसके सचान, सोहेल खान, मोहम्मद सलमान, आसिफ कुरैशी, फरहान पठान, मोहसिन सिद्दीकी, उस्मान और अब्दुल मन्नान आदि लोग मौजूद रहे।
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लाकर किया संविधान का अपमान
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